क्या आप जानते हैं कि हर घर में इस्तेमाल होने वाली चीनी में मिला सल्फर जैसा जहर आपको बीमार कर रहा है?

फिलहाल गन्ने के जूस को चूने और सल्फर से साफ किया जाता है। इसके बाद चीनी के दाने बनते हैं। हालांकि काफी सफाई के बावजूद इस चीनी में सल्फर रह जाता है। कई केसों में एक किलो चीनी में सल्फर की मात्रा 50-70 मिलीग्राम तक होती है। भारत के अलावा कुछ छोटे देशों और अफ्रीकी देशों में सल्फर वाली चीनी बनती है। यूरोप और अमेरिका में भारतीय चीनी को इसी वजह से पसंद नहीं किया जाता है। वहां चीनी या तो सल्फर रहित होती है या इसकी लिमिट 10 से 20 एमजी/किलो है।

 

सल्फर से नुकसान

तय लिमिट से ज्यादा सल्फर डाईऑक्साइड से ब्रॉन्काइटिस, अस्थमा के अलावा सांस लेने में परेशानी होती है। इससे छाती में जकड़न, लगातार छींके आना, गला खराब रहने जैसी समस्याएं भी आती हैं। इसे खाने से मस्तिष्क में रासायनिक क्रियाएं होने से सेरेटोनिन का स्राव हो सकता है, जिससे स्वभाव में चिड़चिड़ापन, अवसाद जैसे लक्षण आते हैं। 

 

जानें कौन सी चीनी है सेहत के लिए बेस्ट?

आमतौर पर घर में सफेद चीनी का ही इस्तेमाल किया जाता है. पर क्या आप यह जानते हैं कि कौन सी चीनी है आपके लिए बेस्ट? अगर नहीं, तो एक्स्पर्ट से जानें

 

सफेद चीनी में कैलोरी बहुत ज्यादा पाई जाती है. इसे खाने से शरीर को नुकसान पहुंच सकता है. सफेद चीनी और भी महीन बनाने के लिए इसमें सल्फर मिलाया जाता है जिससे सांस की दिक्कत पैदा हो सकती है. 

 

ब्राउन शुगर(चीनी) में सफेद चीनी की तुलना में कम कैलोरी होती है.  इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम और आयरन होता है, पर शरीर को जितने आयरन की जरूरत होती है उससे कम. 

 

अंत में सल्फर फ्री चीनी की बात करें तो इसमें सफेद और ब्राउन चीनी की तुलना में कैलोरी काफी कम होती है. इसमें सल्फर बिल्कुल भी नहीं होता है और इसी के चलते यह सेहत के लिए एकदम सेफ है.